ज़िन्दगी :- By Jay Prakash
कल एक झलक जिंदगी को देखा , वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी !!
फिर ढूंढा उसे इधर -उधर ,वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी!
एक अरसे के बाद आया मुझे करार ,वो सहला के मुझे सुला रही थी !
हम दोनों क्यूँ खफा हैं एक दुसरे से,मै उसे और वो मुझे समझा रही थी !
मैंने पूछ लिया --
क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने ,वो हंसी और बोली -
मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी !!
Created By- Jay Prakash ..........
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